Thursday, January 29, 2009

"माँ"



















अपने रक्त से सिंचित करके माँ नें हमको जनम दिया 
गर्भावस्था से ही उसने संस्कारों का आधार दिया 
सर्वप्रथम जब आँख खुली तो मुख पे माँ ही स्वर आया 
दुनिया में किस बात का डर जब सिर पर हो माँ का साया

पहला स्वर सुनते ही उसने छाती से अमृत डाला
अपने वक्षस्थल में रखकर ममता से उसने पाला 
प्रथम गुरु है माँ ही अपनी उससे पहला ज्ञान मिला
माँ का रूप है सबसे प्यारा सबसे उसको मान मिला 

नारी के तो रूप अनेकों भगिनी रूप में वो भाती 
संगिनी रूप में साथ निभाकर मातृत्व से सम्पूर्णता पाती 
अपरम्पार है माँ की महिमा त्याग की मूरत वो कहलाती 
उसके कर्म से प्रेरित होकर मातृ-भूमि पूजी जाती 

माँ में ही नवदुर्गा बसती माता ही है कल्याणी 
माँ ही अपनी मुक्तिदायिनी माँ का नाम जपें सब प्राणी 
माँ के चरणों में स्वर्ग है बसता करते सब तेरा वंदन
तेरा कर्जा कभी न उतरे तुझको कोटिश अभिनन्दन |
 
--अम्बरीष श्रीवास्तव

Tuesday, January 27, 2009

संक्षिप्त जीवन-वृत्त अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता" व मूल्यांकक

जीवन लक्ष्य : अपने आचरण व क्रियाकलापों के माध्यम से जन मानस में समयानुकूल स्वस्थ विचारयुक्त प्रवृत्ति विकसित कराने में सहयोग देना ताकि समाज में स्वस्थ परम्पराओंयुक्त वातावरण सृजित किया जा सके और हम अपने राष्ट्र को स्थिरता सहित हर प्रकार की सम्पन्नता देने में सहयोग कर सकें|

व्यावसायिक जीवन लक्ष्य : अपने तकनीकी व्यवसाय व् भूकंपरोधी डिजाईन से सम्बंधित महत्वपूर्ण सूचनायें व बारीकियाँ, श्रमिकों, अभियंताओं, वास्तुविदों, व भवन डिजाईनरों आदि के साथ -साथ जनसामान्य को उपलब्ध कराते हुए इसे व्यवहार में लेने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि आपदाओं के समय क्षति की मात्रा को न्यूनतम किया जा सके |


जन्म तिथि : ३०-०६-१९६५ ( तीस जून सन् उन्नीस सौ पैसठ ई०)
राष्ट्रीयता : भारतीय
स्थाई पता :
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"
91/
९१, आगा कालोनी, सिविल लाइंस सीतापुर २६१००१ , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२० +919415047020
ईमेल: ambarishji@gmail.com
फ़ोन नम्बर : +९१ ५८६२ २४४४४०
वेब साईट : www. ambarishsrivastava.com
हिन्दी कविताओं हेतु वेब साईट : http://hindimekavita.blogspot.com
शैक्षिक योग्यता : स्नातक
तकनीकी योग्यता : D. C. E. , A. M. ASCE (USA), A. M. AEI. (USA), A. M. SEI. (USA), COURSE ON SEISMIC DESIGN OF STEEL STRUCTURES (IIT-KANPUR), SEISMIC DESIGN OF BRIDGES (IIT-KANPUR), SEISMIC EVALUTION AND STRENGTHENING OF BUILDINGS (IIT-KANPUR), SEISMIC DESIGN OF MASONRY BUILDINGS (IIT-KANPUR)

सदस्यता :
१. एसोशियेट सदस्य अमेरिकन सोसायटी आफ सिविल इंजीनियर्स ( यू ० एस ० ए ० )
२। आजीवन फेलो सदस्य भारतीय पुल अभियंता संस्थान
३। आजीवन सदस्य भारतीय भवन कांग्रेस
४। आजीवन सदस्य भारतीय सड़क कांग्रेस
५। आजीवन सदस्य भारतीय तकनीकी शिक्षा समिति
६। आजीवन सदस्य भारतीय गुणवत्ता वृत्त फॉरम
७। आजीवन फेलो सदस्य भारतीय भवन निर्माण अभिकल्पक संघ संस्थान
८ । सदस्य भारतीय उद्योग संस्थान
९ । सदस्य भारतीय मानवाधिकार संघ
१० । एसोशियेट सदस्य आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग संस्थान ( यू ० एस ० ए ० )
११ । एसोशियेट सदस्य संरचनात्मक इंजीनियरिंग संस्थान ( यू ० एस ० ए ० )

मूल्यांकक के रूप में सूचीबद्धता :
१। इलाहाबाद बैंक
२। लखनऊ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
३। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी
४। ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी


तकनीकी कार्य अनुभव : लगभग २४ वर्ष,
सीतापुर में कराये गए प्रमुख कार्य जैसे रीजेंसी डिग्री कालेज, विजयलक्ष्मी नगर में कैलाश महावर का निवास ,
सिविल लाइंस में डा० जी० एल० दीक्षित के निकट अवधेश वर्मा का निवास, मोहल्ला कोट में मुनिसिपल इंटर कॉलेज के पास अनीस मिर्जा का निवास व डा० समीर अग्रवाल के पीछे अग्रवाल कालोनी में अनूप अग्रवाल व संदीप अग्रवाल का निवास आदि।

अन्य सामाजिक कार्य : इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिल्डिंग डिजाईनर्स एशोसिएशन का गठन , निर्माण श्रमिक संघ सीतापुर का गठन, निर्माण श्रमिकों का प्रशिक्षण, सीतापुर में वर्ष २००८ में बाढ़-आपदा के समय पीडितों की सहायता हेतु ए सी सी सीमेंट लिमिटेड व अन्य मल्टीनेशनल कंपनियों को प्रेरित किया तथा स्वयं यथासंभव सहायता की | मोहल्ला आगा कालोनी में युवकों के सहयोग से बुजुर्गों के सम्मान समारोह, भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान समारोह तथा विवेकानंद पब्लिक स्कूल आगा कालोनी में शिक्षकों तथा कवियों के सम्मान समारोह का सफल आयोजन कराया |

नेतृत्व सम्बन्धी क्षमतायें :
१। अध्यक्ष भारतीय भवन निर्माण अभिकल्पक संघ संस्थान भारतवर्ष |
२। वरिष्ठ उपाध्यक्ष कायस्थ जाग्रति महासभा सीतापुर |
३| जिलाध्यक्ष ग्रामीण अभियंता संघ सीतापुर |

साहित्यिक रूचि: हिन्दी कविता सृजन तथा प्रारंभिक स्तर पर बांसुरी वादन आदि |

प्राप्त अवार्ड सम्मान :
१। राष्ट्रीय अवार्ड इंदिरा गाँधी प्रियदर्शनी अवार्ड (स्वयं के वास्तुशिल्प अभियंत्रण कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा योगदान, व प्राप्त उपलब्धियों हेतु )
२। भारतीय मानवाधिकार संघ द्वारा "अभियंत्रण श्री" से अलंकृत |
३। विवेकानंद सेवा संस्थान सीतापुर द्वारा " काव्य श्री " सारस्वत सम्मान से विभूषित |
४। सीतापुर जेसीज द्वारा हिन्दी हस्तलेख प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त |
५। जे पी सीमेंट लिमिटेड द्वारा सीतापुर में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मानित |
६। ए सी सी सीमेंट लिमिटेड व अन्य मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा अनेक बार सम्मानित | 
हिन्दी साहित्य परिषद् द्वारा "सरस्वती-रत्न" से सम्मानित |

हम शपथ लेते हैं कि हम भारत गणतंत्र में निरंतर आस्था रखते हुए संपूर्ण आत्मविश्वास से भारत की एकता, अखंडता, सृजनात्मकता और गौरव को निरंतर बनाये रखेंगें | हम स्वयं को छल, दंभ द्वेष, अंहकार व स्वार्थपरता से सदैव दूर रखकर अपने राष्ट्र के संपूर्ण विकास व उत्थान में सदैव सहयोग देते रहेंगे | हम इसे अपनी सृजन क्षमता का पूरा उपयोग करके अत्यन्त गौरवशाली महाशक्ति बनायेंगे |
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"





Monday, January 26, 2009

"हिन्दी महिमा"







सोने जैसी खरी है हिन्दी,
चाँदी जैसी उज्जवल हिन्दी,
गंगा जैसी निर्मल हिन्दी,
माटी की सुगंध है हिन्दी,

ममता का आँचल है हिन्दी,
करुणा का सागर है हिन्दी,
ब्रह्मा का वरदान है हिन्दी,
सरस्वती का सम्मान है हिन्दी,

उर्दू की भगिनी है हिन्दी,
मराठी की संगिनी है हिन्दी,
गुजराती में गौरव हिन्दी,
पञ्जाबी की प्रीति है हिन्दी,

कर्मयोग का सार है हिन्दी,
संस्कृत का अवतार है हिन्दी,
वेद पुराणों का ज्ञान है हिन्दी,
अपनों की पहचान है हिन्दी,

हिन्दी सरल बनानी होगी,
जन जन तक पहुंचानी होगी,
अंग्रेजी से हाथ मिलाकर ,
ज्ञान की ज्योंति जलानी होगी|

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Sunday, January 25, 2009

अम्बरीष श्रीवास्तव की कविताएँ


"बचपन के दिन"

टिमटिम तारे, चंदा मामा,
माँ की थपकी मीठी लोरी|
सोंधी मिटटी, चिडियों की बोली,
लगती प्यारी माँ से चोरी ||

सुबह की
ओस सावन के झूले,
खिलती धूप में तितली पकड़ना|
माँ की घुड़की पिता का प्यार,
रोते रोते हँसने
लगना ||

पल में रूठे, पल में हँसते ,
अपने आप से बातें करना |
खेल खिलौने साथी संगी ,
इन सबसे पल भर में झगड़ना ||

लगता है वो प्यारा बचपन ,
शायद लौट के ना आए |
जहाँ उसे छोड़ा था हमने ,
वहीं पे हमको मिल जाए ||

रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"
91/
९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०

+919415047020
ईमेल: ambarishji@gmail.com




Saturday, January 24, 2009

अम्बरीष श्रीवास्तव की कविताएँ


"कविता"

अभावों में बीता हो शैशव,
बचपन भी हो द्वंद भरा |
युवावस्था संघर्ष भरी हो ,
कविता उपजे उसी धरा ||


व्यंग्य ओज अलंकार हैं इसके,
अंतर्मन को छू जाती |
इतनी शक्ति पाई इसने ,
जड़ तक को चेतन कर जाती ||

करुणा ममता दया दृष्टी से,
हर प्राणी को अपनाए,
क्रूर ह्रदय हो चाहे कितना,
उसको राह पे ले आए |

भीगी पलकें भीगा दामन,
सुलगती सांसे दहकती छाती |
विरह अग्नि होठों पे आह ,
कविता वहाँ जनम है पाती ||

कवि की रचना तथ्यपरक हो,
फूंके वो जन-जन में प्राण |
संयमित होकर कलम उठाये,
उद्देश्य हो उसका जग-कल्याण||




रचयिता ,

अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"
91/
९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०

+919415047020
ईमेल: ambarishji@gmail.com




Friday, January 23, 2009

अम्बरीष श्रीवास्तव की कविताएँ

"प्रभु का आवास"


ईश्वर को हम ढूँढ़ने निकले,

मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे में |

मिले न भगवन कहीं भी हमको,

ढूंढा चर्च और चौबारे में ||


धर्मग्रंथों में ढूंढा उनको,

बहुत सा पूजा पाठ किया |

मस्जिद में नमाज़ पढ़ी,

अरदास किया उपवास किया ||


इतना सब कुछ करके फिर भी,

कोई न साक्षात्कार हुआ ,

पुजारी मौलवी ग्रन्थी पादरी ,

सबसे मिलना बेकार हुआ ||


थक हार कर घर को लौटे,

सदगुरु मिले थे राहों में |

बात पते की पायी उनसे,

बसते प्रभु हृदयस्थल में ||


प्राणी का सम्मान जो करता,

उसके ह्रदय है प्रभु का वास |

सत्संग त्याग दुर्जन संग पाये,

उसके हिय शैतान निवास ||


रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"

91/९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०

+919415047020

ईमेल: ambarishji@gmail.com

अम्बरीष श्रीवास्तव की कवितायेँ

"जय जवान"

हवाओं में महके कहानी उसी की ,....2
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |

अपनों से बिछड़े और घर बार छोड़ा,
वतन की जरुरत पे संसार छोड़ा.......2
सरहद से लौटी निशानी उसी की .....२
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |

हवाओं में महके कहानी उसी की .....

दिलों में बसे हैं वतन के ये जाये,
खुशनसीबी है अपनी फतह ले के आये..२
कभी भी न भूले कुर्बानी उसी की ....२
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..

हवाओं में महके कहानी उसी की .....

अपना अमन चैन कायम है इनसे,
सच्चे यही हैं निगाहबां अपने .......२
हुई सारी दुनिया दीवानी इन्ही की ....२
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..

हवाओं में महके कहानी उसी की .....
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की..



रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"
91/९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०
+919415047020
ईमेल: ambarishji@gmail.com


अम्बरीष श्रीवास्तव की कवितायेँ


" स्वामी विवेकानंद के सदवचन"
बल से जीवन संचरण, दुर्बल मृत्यु समान |
शत्रु निराशा आपकी, साहस से कल्याण ||
पूरे मन जी प्राण से, कुछ भी कर लो काम |
मानव तन ही श्रेष्ठतम्, कर लो इसे प्रणाम ||
सेवा त्याग बसे हृदय, सीरदार सरदार |
स्वयं संभालो आप को, सदा रहो तैयार ||
उन्नति चाहो तो करो, अपने पर विश्वास |
जो  चाहोगे  पाओगे , ईश्वर होंगे पास ||
शिक्षा सबसे है अहम्,  जीव ब्रह्म अव्यक्त|
निर्भय बनकर यदि रहो,  अन्धकार हो नष्ट||
यहाँ नास्तिक है वही, जिसे न निज विश्वास |
जैसी हो एकाग्रता , वैसी पूरी आस ||  
हैं अमूल्य सारे वचन, जन-जन यदि अपनाय |
अपना भारत विश्व में, महाशक्ति हो जाय ||
--अम्बरीष श्रीवास्तव