सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ ......२
भीनी यादों को यूँ संजोया है ,
बीज जन्नत का मैंने बोया है,
मन मेरा बस रहा इन गीतों में ,
ख़ुद को आईना, मैं दिखा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ........2
दिल की आवाज़ यूँ सहेजी है ,
मस्त मौसम में आंसू छलके हैं ,
गम की बूँदों को रखा सीपी में ,
शब्द मुक्तक मैं उठा लूँ तो चलूँ ||
दिल की आवाज़ यूँ सहेजी है ,
मस्त मौसम में आंसू छलके हैं ,
गम की बूँदों को रखा सीपी में ,
शब्द मुक्तक मैं उठा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ ......२
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ ......२
--अम्बरीष श्रीवास्तव