Friday, March 27, 2009

सरगमीं प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ


 

















सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ
......२

भीनी यादों को यूँ संजोया है ,
बीज जन्नत का मैंने बोया है,
मन मेरा बस रहा इन गीतों में ,
ख़ुद को आईना, मैं
दिखा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ........2

दिल की आवाज़ यूँ सहेजी है ,
मस्त मौसम में आंसू छलके हैं ,
गम की बूँदों को रखा सीपी में ,
शब्द मुक्तक मैं उठा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ ......२

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Thursday, March 5, 2009

"माँ सरस्वती वंदना "






















 हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......
हे, अमृत रस,
वर्षाने वाली.........
तेरी, महिमा
अपरम्पार,
तुझको, पूज रहा संसार
.........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......
जो जन तेरी, शरण में आते,
बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते ..........२
हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......२
कर दो बेड़ा पार ...........
तुझको पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

हम पर कृपा बनाये रखना ,
ज्ञान से मन हर्षाये रखना .....२
हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......२
हर लो, जग का सब अंधकार .......
तुझको पूज रहा संसार ....२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Wednesday, March 4, 2009

"होली के रंग "

हर शख्श पे दिल आए, ये जरूरी तो नहीं |
कुछ एक ही मिलते हैं, दिल से लगाने के लिए ||
 
समस्त मित्रों को हमारी और से गरमागरम गुझिया के साथ होली की बहुत-बहुत बधाई व ढेरों शुभकामनायें !!!......
होली में मन मचलते हैं हसरतें जाग जाती हैं
जगे मन में वही अरमां हवाएं मस्त गाती हैं
यहाँ सब लोग रंगों की खुमारी में मगन होकर
दिलों से दिल मिलाते है फिजायें गुनगुनाती हैं

सुहाने दिन वही बचपन आज फिर याद आता है
वही हाथों में पिचकारी लड़कपन दिल लुभाता है
जमाने भर की खुशियाँ थीं चमकती उन निगाहों में
वही वो प्यार बचपन का हमें नज़दीक लाता है

आज के दिन मेरे यारों कभी मायूस ना होना
सताए दर्द गर कोई कभी ग़मगीन ना होना
चले आना हमारे संग इन्हीं रंगीं फिजाओं में
दिलों को जोड़ते हैं हम खताएं माफ़ कर देना …….
तेरे दीदार को तरसे हैं हम .......
सूरत तो दिखाने जा.......|
कैसे मिलते तुझसे........
रंगों के बहाने जा .......

रंग प्यार के हम सब घोलें........
अपनेपन के हों गुब्बारें ......|
रंगों की तेज धार से........
बह जांय नफरत की दीवारें .....||

ऐसे रंगना हमें........
दुश्मन पे प्यार जाए.......|

भूलकर शिकवे सारे. ......
गले मिल लें बहार आ जाए.....||

--अम्बरीष श्रीवास्तव