कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण...
Monday, August 15, 2011
आजादी कैसी यहाँ?
आजादी कैसी यहाँ, आजादी बस नाम,
भ्रष्टाचारी राज में, सही हुए बदनाम.
सही हुए बदनाम, वही ठहराए दागी.
उनका काम तमाम, जिन्हें है पाया बागी.
ख़त्म करें यह खेल, अंत जिसका बरबादी,
लें अन्ना की राह, तभी पायें आजादी..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
.
ReplyDeleteप्रियवर अम्बरीश जी
नमस्कार !
भ्रष्टाचारी राज में , सही हुए बदनाम
बहुत सही कहा आपने …
समसामयिक हालात पर अच्छी कुंडली लिखी आपने … बधाई !
नमस्कार है भाई राजेंद्र जी ! सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार मित्र! :-)
ReplyDelete