Friday, March 27, 2009

सरगमीं प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ


 

















सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ
......२

भीनी यादों को यूँ संजोया है ,
बीज जन्नत का मैंने बोया है,
मन मेरा बस रहा इन गीतों में ,
ख़ुद को आईना, मैं
दिखा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ........2

दिल की आवाज़ यूँ सहेजी है ,
मस्त मौसम में आंसू छलके हैं ,
गम की बूँदों को रखा सीपी में ,
शब्द मुक्तक मैं उठा लूँ तो चलूँ ||
सरगमी प्यास को अपनी मैं बुझा लूँ तो चलूँ ,
तुम को दिल में आहिस्ता से सजा लूँ तो चलूँ ......२

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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