Thursday, November 28, 2013
Monday, February 4, 2013
हास्य-व्यंग्य दोहे
(चित्र गूगल से साभार)
चिमटा बेलन प्रेम का, खुलकर करें बखान.
जोश भरें हर एक में, ले भरपूर उड़ान..
जगनिंदक घर राखिये, ए सी रूम बनाय.
चाहे सिर पर ही चढ़े, वहीं बीट करि जाय..
चमचों से डरते रहें, कभी करें नहिं बैर.
चमचे पीछे यदि पड़े, नहीं आपकी खैर..
नैनों से सुख ले रहे, नाप रहे भूगोल.
सारे भाई बंधु हैं, नहीं इन्हें कुछ बोल..
गलती कर नहिं मानिए, बने खूब पहचान.
अड़े रहें हल्ला करें, सही स्वयं को मान..
अहंकार दिखता बड़ा, 'मैं' छाया बिन प्राण.
'मैं' 'मैं' 'मैं' ही कीजिये, होगा अति कल्याण..
जब तक सीखें गुरु कहें, नहीं करें कुछ पाप.
गुरु हो बैठे आप जब, बनें गुरू के बाप..
गलत सही साबित करें, अगर चले नहिं जोर.
गुटबंदी तब कीजिये, और मचा दें शोर..
कूटतंत्र की राह पर, छूटतंत्र का राज.
लोकतंत्र है सामने रामराज्य है आज..
हास्य व्यंग्य सम-सामयिक. करते दोहे आज.
इनका उल्टा ही भला, सुखमय बने समाज..
--इं० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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