Thursday, November 28, 2013

माँ सरस्वती हरिगीतिका


                                 
                             शुचिशुभ्रवसनाशारदा वीणाकरेवागीश्वरी .                       
                             कमलासिनीहंसाधिरूढ़ा बुद्धिदाज्ञानेश्वरी .
                             अमृतकलशकरअक्षसूत्रं पुस्तकंप्रतिशोभितं .                
                              शरणागतंशुभसत्त्वरूपं वेदमातावंदितं ..


     रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'  
   दूरभाष: 09415047020, 05862244440

श्री गणेश स्तुति हरिगीतिका



शिवशैलजासुतपूज्यप्रथमं मोक्षज्ञानप्रदायकं .
गुरुगजबदनगणपतिगजानन विध्ननाशविनायकं .
शतवंदनंप्रभुपाशधारी अस्त्रअंकुशशोभितं .
नतनमन 'अम्बर' एकदंतं सिद्धिबुद्धिसुमोहितं ..

रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'  
दूरभाष: 09415047020, 05862244440

प्रभु हनुमान स्तुति हरिगीतिका

(चित्र गूगल से साभार) 

   शिवरुद्रएकादशत्वमेंयं पवनतनयंध्यायितं .   
नृपकेसरीहरिअंजनासुत पञ्चमुखप्रभुपूजितं .
शनिदम्भहर्तादुष्टदलनं ज्ञानवीरंशोभितं .
शरणागतंसियरामभक्तं हनुमतंसुरवंदितं ..

रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'   
दूरभाष: 09415047020, 05862244440

पूज्य गुरुदेव स्तुति हरिगीतिका

 (चित्र गूगल से साभार)

गुरुदेवत्वंशुचिज्ञानपुंजं कोटिसवितासमप्रभं .
द्विजजन्मदातापञ्चरिपुहर सिद्धिदायकतमहरं .
सद्बुद्धिशुभसन्मार्गप्रेरक गुरुकृपामममस्तकं .
कुरुध्यानअंबरदंडवतनित आदिगुरुपरब्रह्मत्वं ..

रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'    
दूरभाष: 09415047020, 05862244440


 

Monday, February 4, 2013

हास्य-व्यंग्य दोहे


 (चित्र गूगल से साभार)

चिमटा बेलन प्रेम का, खुलकर करें बखान.
जोश भरें हर एक में, ले भरपूर उड़ान..

जगनिंदक घर राखिये, ए सी रूम बनाय.
चाहे सिर पर ही चढ़े, वहीं बीट करि जाय..

चमचों से डरते रहें, कभी करें नहिं बैर.
चमचे पीछे यदि पड़े, नहीं आपकी खैर..

नैनों से सुख ले रहे, नाप रहे भूगोल.
सारे भाई बंधु हैं, नहीं इन्हें कुछ बोल..

गलती कर नहिं मानिए, बने खूब पहचान.
अड़े रहें हल्ला करें, सही स्वयं को मान..

अहंकार दिखता बड़ा, 'मैं' छाया बिन प्राण.
'मैं' 'मैं' 'मैं' ही कीजिये, होगा अति कल्याण..

जब तक सीखें गुरु कहें, नहीं करें कुछ पाप.
गुरु हो बैठे आप जब, बनें गुरू के बाप..

गलत सही साबित करें, अगर चले नहिं जोर.
गुटबंदी तब कीजिये, और मचा दें शोर..

कूटतंत्र की राह पर, छूटतंत्र का राज.
लोकतंत्र है सामने रामराज्य है आज..

हास्य व्यंग्य सम-सामयिक. करते दोहे आज.
इनका उल्टा ही भला, सुखमय बने समाज..

--इं० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'