Sunday, February 22, 2009

"दिल की चाहत"

 


















इस कदर तुम तो अपने करीब गए ,  
कि तुम से बिछड़ना गवारां नहीं |  
ऐसे बांधा मुझे अपने आगोश में ,  
कि ख़ुद को अभी तक संवारा नहीं ||  

अपनी खुशबू से मदहोश करता मुझे ,  
दूसरा कोई ऐसा नज़ारा नहीं |  
दिल की दुनिया में तुझको लिया है बसा,  
तुम जितना मुझे कोई प्यारा नहीं ||  

दिल पे मरहम हमेशा लगाते रहे ,  
आफतों में भी मुझको पुकारा नहीं |  
अपना सब कुछ तो तुमने है मुझको दिया
  रहा दिल तक तो अब ये हमारा नहीं ||  

मसफ़र तुम हमारे हमेशा बने ,  
इस ज़माने का कोई सहारा नही |
साथ देते रहो तुम मेरा सदा,
मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नहीं ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव
 

5 comments:

  1. ब्लागजगत में स्वागत है..

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  2. आपका हिंदी ब्लॉगजगत में स्वागत है।

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  3. अंबरीश जी, काफी अच्छी कविता लिखी है।

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  4. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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