इस कदर तुम तो अपने करीब आ गए ,
कि तुम से बिछड़ना गवारां नहीं |
ऐसे बांधा मुझे अपने आगोश में ,
कि ख़ुद को अभी तक संवारा नहीं ||
अपनी खुशबू से मदहोश करता मुझे ,
दूसरा कोई ऐसा नज़ारा नहीं |
दिल की दुनिया में तुझको लिया है बसा,
तुम जितना मुझे कोई प्यारा नहीं ||
दिल पे मरहम हमेशा लगाते रहे ,
आफतों में भी मुझको पुकारा नहीं |
अपना सब कुछ तो तुमने है मुझको दिया,
रहा दिल तक तो अब ये हमारा नहीं ||
हमसफ़र तुम हमारे हमेशा बने ,
इस ज़माने का कोई सहारा नही |
साथ देते रहो तुम मेरा सदा,
मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नहीं ||
मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नहीं ||
--अम्बरीष श्रीवास्तव
ब्लागजगत में स्वागत है..
ReplyDeleteआपका हिंदी ब्लॉगजगत में स्वागत है।
ReplyDeleteअंबरीश जी, काफी अच्छी कविता लिखी है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletebahut khub janab. narayan narayan
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