Thursday, March 5, 2009

"माँ सरस्वती वंदना "






















 हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......
हे, अमृत रस,
वर्षाने वाली.........
तेरी, महिमा
अपरम्पार,
तुझको, पूज रहा संसार
.........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......
जो जन तेरी, शरण में आते,
बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते ..........२
हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......२
कर दो बेड़ा पार ...........
तुझको पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

हम पर कृपा बनाये रखना ,
ज्ञान से मन हर्षाये रखना .....२
हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......२
हर लो, जग का सब अंधकार .......
तुझको पूज रहा संसार ....२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2

--अम्बरीष श्रीवास्तव

8 comments:

  1. ... वंदना बहुत ही प्रभावशाली है।

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  2. एक सरस्वती पुत्र का सार्थक, सटीक और मनभावन उदगार. लिखते रहें.

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  3. भाई श्याम जी ! तारीफ करने के लिए शुक्रिया !

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  4. हरकीरत हकीर जी! आपका हृदय से आभार !!

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  5. धन्यवाद भाई जीतेंद्र जी ! आपकी यह प्रतिक्रिया मुझमें और अधिक उर्जा का संचार कर रही है !

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  6. हो चुके देश पर निझावन जो
    स्वाद जो जाति प्यार का चक ले
    धुल ले पाँव की लगा उनके
    चाहिये आँख पर उन्हें रख ले


    plz mujhe iske pura matlab lik kar mail kar dijiyai sir,

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  7. Mughe aapka kabita pasand aaya Kya Mai ese le kar ga sakta hoo aapki aaya chahiye

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