Thursday, August 11, 2011

रक्षा बंधन पर्व की शुभकामनायें !












हरिगीतिका:

सावन सुहावन आज पूरन पूनमी भिनसार है,
भैया बहन खुश हैं कि जैसे मिल गया संसार है|
राखी सलोना पर्व पावन, मुदित घर परिवार है,
आलोक भाई की कलाई पर बहन का प्यार है ||

भाई बहन के पाँव छूकर दे रहा उपहार है,
बहना अनुज के बाँध राखी हो रही बलिहार है|
टीका मनोहर भाल पर शुभ मंगलम त्यौहार है
आलोक भाई की कलाई पर बहन का प्यार है ||

सावन पुरातन प्रेम पुनि-पुनि, सावनी बौछार है,
रक्षा शपथ ले करके भाई, सर्वदा तैयार है|
यह सूत्र बंधन तो अपरिमित, नेह का भण्डार है,
आलोक भाई की कलाई पर बहन का प्यार है||

बहना समझना मत कभी यह बन्धु कुछ लाचार है,
मैंने दिया है नेग प्राणों का कहो स्वीकार है |
राखी दिलाती याद पावन, प्रेम मय संसार है,
आलोक भाई की कलाई पर बहन का प्यार है||
--श्री आलोक सीतापुरी
aloksitapuri@gmail.com

 छः 'बरवै' छंद

बहनें लेकर आयीं, पूजन थाल.
रोली-अक्षत सोहै, भाई भाल..

सजी कलाई बाँधी, राखी हाथ.
सदा रहे ओ बहना, तेरा साथ..

मेरा भैया चंदा, जैसा आज.
बहना का चलता है, घर में राज..

तीनों के मुखमंडल, पर मुस्कान.
प्यारा भैया बहनों, की है जान..

मिला अभी जो बहना, का आशीष.
अंबरीश झुक जाता, अपना शीश..

बहना पर न्यौछावर अपने प्राण.
सदा मिले बहना को, यह सम्मान..
--अम्बरीष श्रीवास्तव

कुण्डलिया छंद :

रक्षा बंधन प्यार का , सामाजिक त्यौहार ,
प्रमुदित बहनें इस दिवस,बाँटें हृदय दुलार|
बाँटें हृदय दुलार , ख़ुशी से बांधें राखी ,
बहनों के रक्षार्थ , यही है रक्षण साखी;
'तुका' सरस सन्देश, हमारी सम है कक्षा |
इसी ध्येय से करें , बंधु बहनों की रक्षा ||

--श्री तुकाराम वर्मा
poettrv@gmail.com

कुण्डलिया दिल से रची, प्रभुजी यही यथार्थ,
सब जन मिल कर लें शपथ, बहनों के रक्षार्थ|
बहनों के रक्षार्थ, खड़े हों हम मिल सारे,
कन्या को सम्मान. सभी दें द्वारे-द्वारे;
अम्बरीष अब रोक, भ्रूण हत्या सी बलि, या!
अभी शर्म से डूब, यही कहती कुण्डलिया ||
 --अम्बरीष श्रीवास्तव

5 comments:

  1. ये पोस्ट आज पढ़ पाया| 11 अगस्त काकाजी के निधन के कारण मथुरा में था| पिछले हफ्ते ही लौटा हूँ|

    बहुत सुंदर कुंडली, हरिगीतिका और बरवै छंद| बरवै के लिए विशेष बधाई| अंतिम कुण्डलिया की अंतिम पंक्तियों में आपने कमाल किया है| दूसरी पंक्ति में कुछ टाइप होने से रह गया है, कृपया सुधार दें|

    पुन: पुन: अभिवादन

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  2. स्वागत है आदरणीय मित्र नवीन जी !
    आपके काका जी के निधन के बारे में जान कर दुःख हुआ...... ईश्वर काकाजी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे! इन रचनाओं को सराहने के लिए आपका हृदय से आभार ! आपने जिस ओर इंगित किया है उसका सुधार कर दिया गया है !

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  3. माननीय अम्बरीश जी
    रक्षाबंधन को समर्पित पूरी पोस्ट शानदार है …

    आपके साथ आलोक सीतापुरी जी और तुकाराम जी को हृदय से बधाई !


    ♥ हार्दिक शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. आज 31/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  5. भाई बहिन का प्यार दुलार छिपा रहता है राखी में
    बहुत सुन्दर प्यारी रचना प्रस्तुति.
    रक्षा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

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