कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण...
इधर उधर
फुदकती
मन भाती
चारों ओर चहचहाती
चिरैया
आँगन में नृत्य करती
गौरैया
लगता है
शायद अब
किताबों में ही दिखेगी
अमानवीय क्रूर हाथों से
कैसे बचेगी वो ?
--अम्बरीष श्रीवास्तव
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना....लड्डू बोलता है...http://laddoospeaks.blogspot.com
nice
Accha laga, Shubhkamnayen.
aap sabhee ka aabhar.
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना....
ReplyDeleteलड्डू बोलता है...
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ReplyDeleteAccha laga, Shubhkamnayen.
ReplyDeleteaap sabhee ka aabhar.
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