Thursday, October 7, 2010

लखनऊ ब्लोगर्स एसोशियेशन पर इस सप्ताह की श्रेष्ठ पोस्ट की उद्घोषणा



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सप्ताह की श्रेष्ठ पोस्ट की उद्घोषणा

कहा जाता है कि प्रतिष्ठा, प्रशंसा और प्रसिद्धि की चाहत सभी को होती है , किन्तु सही मायने में प्रशंसा तब सार्थक समझी जाती है, जब आप किसी को पहले से नहीं जानते हों अचानक किसी मोड़ पर वह मिल जाए और आप उसके सद्गुणों की प्रशंसा करने को बाध्य हो जाएँ । ऐसा ही हुआ कुछ हमारे साथ ।

विगत दिनों यह घोषणा की गयी थी कि प्रत्येक सोमवार को हम लखनऊ ब्लोगर एसोशिएसन पर प्रकाशित किसी एक पोस्ट को सप्ताह की श्रेष्ठ पोस्ट का अलंकरण देंगे । आज पहला दिन है और हम जिस पोस्ट को सप्ताह की पोस्ट का अलंकरण देने जा रहे हैं उसके पोस्ट लेखक को मैंने पहली बार पढ़ा और उस पहले पोस्ट ने मुझे आकर्षित होने पर मजबूर किया वह पोस्ट है -

दिल से कर लो मेल..


एक संग होती रहे पूजा और अजान।
सबके दिल में हैं प्रभू वे ही सबल सुजान..

निर्गुण ब्रह्म वही यहाँ वही खुदा अल्लाह.
वही जगत परमात्मा उनसे सभी प्रवाह..

झगड़े आखिर क्यों हुए क्यों होते ये खेल.
मंदिर-मस्जिद ना करो दिल से कर लो मेल..

पंथ धर्म मज़हब सभी लगें बड़े अनमोल.
इनसे ऊपर है वतन मन की आँखें खोल..

बाँट हमें और राज कर हमें नहीं मंजूर.
सच ये हमने पा लिया समझे मेरे हुजूर.

बहुतेरी साजिश हुई नहीं गलेगी दाल.
एक रहेगा देश ये नहीं चलेगी चाल॥

श्री अंबरीश श्रीवास्तव की यह कविता सांप्रदायिक सद्भाव को समर्पित है और मुझे इस कविता को सप्ताह की श्रेष्ठ कविता या फिर श्रेष्ठ पोस्ट की घोषणा करते हुए अपार ख़ुशी की अनुभूति हो रही है ।

30 जून 1965 में उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के “सरैया-कायस्थान” गाँव में जन्मे कवि अम्बरीष श्रीवास्तव ने भारत के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' कानपुर से विशेषकर भूकंपरोधी डिजाईन व निर्माण के क्षेत्र में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। कवि जनपद सीतापुर के प्रख्यात वास्तुशिल्प अभियंता एवं मूल्यांकक होने के साथ राष्ट्रवादी विचारधारा के कवि हैं। कई प्रतिष्ठित स्थानीय व राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं व इन्टरनेट पर जैसे अनुभूति, हिंदयुग्म, साहित्य शिल्पी, साहित्य वैभव, स्वर्गविभा, हिन्दीमीडिया, विकिपीडिया, रेनेसा, ड्रीमस-इंडिया, शिक्षक प्रभा व मज़मून आदि पर अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं। ये देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित तकनीकी व्यवसायिक संस्थानों जैसे "भारतीय भवन कांग्रेस" , "भारतीय सड़क कांग्रेस", "भारतीय तकनीकी शिक्षा समिति", "भारतीय पुल अभियंता संस्थान" व अमेरिकन सोसायटी ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स, आर्कीटेक्चरल इंजीनियरिग इंस्टीटयूट, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिग इंस्टीटयूट आदि व तथा साहित्य संस्थाओं जैसे "हिंदी सभा", हिंदी साहित्य परिषद्" (महामंत्री ) तथा "साहित्य उत्थान परिषद्" आदि के सदस्य हैं। प्राप्त सम्मान व अवार्ड:- राष्ट्रीय अवार्ड "इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवार्ड 2007", "अभियंत्रणश्री" सम्मान 2007 तथा "सरस्वती रत्न" सम्मान 2009 आदि

.....इस अवसर पर श्री अंबरीश श्रीवास्तव जी के लिए ऋग्वेद की दो पंक्तियां समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।


अनंत आत्मिक शुभकामनाओं के साथ-
शुभेच्छु-
रवीन्द्र प्रभात
अध्यक्ष : लखनऊ ब्लोगर एसोशिएसन
प्रस्तुतकर्ता: रवीन्द्र प्रभात 22 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें! इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें Facebook पर साझा करें Google Buzz पर शेयर करें
Labels: सप्ताह की श्रेष्ठ पोस्ट

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