कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण...
Friday, December 10, 2010
"उस माँ को हमने क्या जाना "
उस माँ को हमने क्या जाना जो दुःख ही सारे सहती है.
हैं त्याग दिए निज जीवन सुख और प्यार बाँटती रहती है.
आयी अब याद हमें माँ की माँ के मन में है कब से हम-
दिल माँ का सच्चा मंदिर है ये सारी दुनिया कहती है..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
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