Friday, January 23, 2009

अम्बरीष श्रीवास्तव की कवितायेँ


" स्वामी विवेकानंद के सदवचन"
बल से जीवन संचरण, दुर्बल मृत्यु समान |
शत्रु निराशा आपकी, साहस से कल्याण ||
पूरे मन जी प्राण से, कुछ भी कर लो काम |
मानव तन ही श्रेष्ठतम्, कर लो इसे प्रणाम ||
सेवा त्याग बसे हृदय, सीरदार सरदार |
स्वयं संभालो आप को, सदा रहो तैयार ||
उन्नति चाहो तो करो, अपने पर विश्वास |
जो  चाहोगे  पाओगे , ईश्वर होंगे पास ||
शिक्षा सबसे है अहम्,  जीव ब्रह्म अव्यक्त|
निर्भय बनकर यदि रहो,  अन्धकार हो नष्ट||
यहाँ नास्तिक है वही, जिसे न निज विश्वास |
जैसी हो एकाग्रता , वैसी पूरी आस ||  
हैं अमूल्य सारे वचन, जन-जन यदि अपनाय |
अपना भारत विश्व में, महाशक्ति हो जाय ||
--अम्बरीष श्रीवास्तव

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