"प्रभु का आवास"
ईश्वर को हम ढूँढ़ने निकले,
मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे में |
मिले न भगवन कहीं भी हमको,
ढूंढा चर्च और चौबारे में ||
धर्मग्रंथों में ढूंढा उनको,
बहुत सा पूजा पाठ किया |
मस्जिद में नमाज़ पढ़ी,
अरदास किया उपवास किया ||
इतना सब कुछ करके फिर भी,
कोई न साक्षात्कार हुआ ,
पुजारी मौलवी ग्रन्थी पादरी ,
सबसे मिलना बेकार हुआ ||
थक हार कर घर को लौटे,
सदगुरु मिले थे राहों में |
बात पते की पायी उनसे,
बसते प्रभु हृदयस्थल में ||
प्राणी का सम्मान जो करता,
उसके ह्रदय है प्रभु का वास |
सत्संग त्याग दुर्जन संग पाये,
उसके हिय शैतान निवास ||
रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"
91/९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०
+919415047020
ईमेल: ambarishji@gmail.com
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