Friday, January 23, 2009

अम्बरीष श्रीवास्तव की कविताएँ

"प्रभु का आवास"


ईश्वर को हम ढूँढ़ने निकले,

मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे में |

मिले न भगवन कहीं भी हमको,

ढूंढा चर्च और चौबारे में ||


धर्मग्रंथों में ढूंढा उनको,

बहुत सा पूजा पाठ किया |

मस्जिद में नमाज़ पढ़ी,

अरदास किया उपवास किया ||


इतना सब कुछ करके फिर भी,

कोई न साक्षात्कार हुआ ,

पुजारी मौलवी ग्रन्थी पादरी ,

सबसे मिलना बेकार हुआ ||


थक हार कर घर को लौटे,

सदगुरु मिले थे राहों में |

बात पते की पायी उनसे,

बसते प्रभु हृदयस्थल में ||


प्राणी का सम्मान जो करता,

उसके ह्रदय है प्रभु का वास |

सत्संग त्याग दुर्जन संग पाये,

उसके हिय शैतान निवास ||


रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"

91/९१, सिविल लाइंस सीतापुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया ( भारतवर्ष )
मोबाइल : +९१९४१५०४७०२०

+919415047020

ईमेल: ambarishji@gmail.com

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