सोने जैसी खरी है हिन्दी,
चाँदी जैसी उज्जवल हिन्दी,
गंगा जैसी निर्मल हिन्दी,
माटी की सुगंध है हिन्दी,
ममता का आँचल है हिन्दी,
करुणा का सागर है हिन्दी,
ब्रह्मा का वरदान है हिन्दी,
सरस्वती का सम्मान है हिन्दी,
उर्दू की भगिनी है हिन्दी,
मराठी की संगिनी है हिन्दी,
गुजराती में गौरव हिन्दी,
पञ्जाबी की प्रीति है हिन्दी,
कर्मयोग का सार है हिन्दी,
संस्कृत का अवतार है हिन्दी,
वेद पुराणों का ज्ञान है हिन्दी,
अपनों की पहचान है हिन्दी,
हिन्दी सरल बनानी होगी,
जन जन तक पहुंचानी होगी,
अंग्रेजी से हाथ मिलाकर ,
ज्ञान की ज्योंति जलानी होगी|
--अम्बरीष श्रीवास्तव
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